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सामाजिक स्वास्थ | Social health

सामाजिक स्वास्थ | Social health 

नमस्कार विद्यार्थी मित्रांनो आज आपण सामाजिक स्वास्थ Social health विज्ञान भाग २ मधील पाठाचे अति महत्वाचे प्रश्न जे SSC Board परीक्षेत विचारले जातात अश्या प्रश्नांची उत्तरे अचूक कशी लिहावी हे आज आपण पाहणार आहोत.
सामाजिक स्वास्थ  Social health (toc)
सामाजिक स्वास्थ  Social health इस घटक में हम 
१.सामाजिक स्वास्थ.
२. सामाजिक स्वास्थ को खतरे मे डालने वाले घटक.
३. तनाव का व्यवस्थापन.
के बारे में पढाई करने वाले. 

१.सामाजिक स्वास्थ.

शारीरिक स्वास्थ्य, स्वच्छता व निरोगी रहने के महत्त्व के साथ ही साथ मानसिक तथा सामाजिक स्वास्थ्य उत्तम बनाए रखना ही संपूर्ण स्वास्थ्य है।

1. सामाजिक स्वास्थ्य पर प्रभाव डालनेवाले घटक :

  • (1) व्यक्ति की मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति अन्न, वस्त्र, आवास, औषधोपचार.
  •  (2) आवास का स्थान
  •  (3) शिक्षा और नौकरी के लिए मिलने वाले अवसर
  •  (4) परिवहन सुविधा 
  • (5) सामाजिक सुरक्षा 
  • (6) शिक्षा
  •  (7) समाज द्वारा किया जाने वाला व्यवहार 
  • (8) आसपास की सामाजिक व भौतिक परिस्थिति
  •  (9) परिसर का सामाजिक वातावरण 
  • (10) मैदान 
  • (11) बगीचा
  •  (12) पानी 
  • (13) स्वच्छतागृह 
  • (14) आर्थिकस्थिति 
  • (15) राजनीतिक वातावरण (दृष्टिकोण)।

2. सामाजिक स्वास्थ्य 

एक व्यक्ति की अन्य व्यक्ति के साथ संबंध स्थापित करने की क्षमता को सामाजिक स्वास्थ्य कहते हैं।

3. सामाजिक परिस्थिति - 

बदलते हुए सामाजिक परिस्थिति के अनुसार स्वयं के व्यवहार में अनुकुलता लाना ही सामाजिक रूप से स्वस्थ रहना है।


4. उत्तम सामाजिक स्वास्थ्य के लिए आवश्यक घटक :

(1) साहसी, दृढ़ निश्चयवाला व्यक्तित्व, मित्र और रिश्तेदारों का बड़ा समूह।

(2) समय का उचित नियोजन अन्य लोगों के प्रति विश्वास, आदर तथा अन्य व्यक्तियों को स्वीकार करने की प्रवृत्ति।

2. सामाजिक स्वास्थ्य को खतरे में डालनेवाले घटक :

1. मानसिक तनाव (Mental stress):

(1) बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण शिक्षा, नौकरी अथवा व्यवसाय में स्पर्धा बढ़ रही है।

(2) स्वयं की नौकरी अथवा व्यवसाय में व्यस्त माता-पिता, विभाजित परिवार के कारण बच्चे (एकाकी) अकेले रहने के कारण मानसिक तनाव का सामना करते हैं।

(3) एक ही परिवार अथवा कुटुंब में भाई और बहन में भेदभाव किया जाता है।

(4) समाज में भी लड़कियों को छेड़छाड़, छिंटाकशी भद्दे मजाक, दैहिक शोषण जैसी समस्याओं से जुझना पड़ता है।

(5) लड़कियों, बालिकाओं तथा स्त्रियों को असुरक्षित वातावरण में रहना पड़ता है।

(6) स्त्री-पुरुष असमानता के कारण लड़कियाँ तनाव का अनुभव करती हैं।

(7) समाज में बढ़ती हुई अव्यवस्था, अपराधी प्रवृत्ति तथा हिंसा के कारण तनाव सहन करना पड़ रहा है। इसी प्रकार "शीघ्र और आसान कमाई के साधनों की इच्छा रखनेवाले लोग परिश्रम करना छोड़कर अपराध की ओर बढ़ते हुए दिखाई देते हैं। वे विभिन्न प्रकार की गंदी आदतों के शिकार हो जाते हैं। सामाजिक अस्वास्थ्य का यह घातक दुष्परिणाम है|

२.व्यसनाधीनता (Addiction) :

(1) किशोरावस्था के लड़के-लड़कियों समवयस्कता का प्रभाव अधिक होता है। बड़े बुजुर्गों की सलाह की अपेक्षा मित्रों की गलत सलाह मानी जाती है।

(2) कम आयु में ही बच्चे तंबाकू, गुटखा, सिगरेट, नशीले पदार्थ तथा शराब का स्वाद चख लेते है। अनजाने में ही नशीले पदार्थों के व्यसन की शुरूआत हो जाती है।

(3) समवयस्कों (Peer group) के द्वारा बार-बार आग्रह करने पर अथवा बढ़िया रहन-सहन के झठे दिखावे के कारण किशोरावस्था में युवक व्यसन के जाल में फँस जाते हैं। कभी-कभी आस-पास के परिसर में रहने वाले बड़े बुजुगों, रिश्तेदारों या जान-पहचान के लोगों का अनुकरण करके बच्चे तथा युवक व्यसनग्रस्त हो जाते हैं।

(4) नशीले पदार्थों में से कई नशीले पदार्थ लंबे समय तक अपना प्रभाव दिखाते हैं।

3. असाध्य रोग (Irremedial disease) :

(1) विभिन्न प्रकार के असाध्य रोग जैसे एड्स, टीबी, कुष्ठरोग इत्यादि सामाजिक स्वास्थ्य बिगाड़ सकते हैं।

(2) वृद्ध, अपंग व्यक्तियों की उचित देखभाल करना आवश्यक है। इसी प्रकार मानसिक विकार से ग्रसित व्यक्ति अथवा जिन व्यक्तियों का मानसिक संतुलन बिगड़ा हुआ है, ऐसे व्यक्तियों का भी ध्यान रखना चाहिए। इस प्रकार के मानसिक विकार से ग्रासित अथवा मानसिक रूप से परेशान व्यक्ति समाज में समस्या उत्पन्न कर सकते हैं। 
(३) अतः ऐसे व्यक्तियों को उचित उपचार देना तथा प्रेमभरा व्यवहार करना आवश्यक है। बदलती हुई कुटुंब पद्धति के कारण वृद्धाश्रमों की संख्या भी बढ़ती जा रही है। इस प्रकार की सभी परिस्थितियाँ सामाजिक स्वास्थ्य के लिए घातक सिद्ध हो सकती हैं।

4. प्रसार माध्यम और अत्याधुनिक तकनीकों का अधिक उपयोग


(1) प्रसार माध्यम और अत्याधुनिक तकनीक ने हमारे जीवन को अत्यधिक प्रभावित किया है। मोबाईल फोन का अधिक उपयोग शारीरिक तथा सामाजिक स्वास्थ्य के लिए उचित नहीं है।

(2) विभिन्न प्रकार के इलेक्ट्रानिक साधन और माध्यम भी एक प्रकार के व्यसन बनते जा रहे है। मोबाईल फोन की विकिरणों से थकान, सिरदर्द, निद्रा का नाश, भूलने की आदत, कानों में आवाज गुँजना, जोड़ो का दर्द तथा दृष्टिदोष जैसी शारीरिक पीड़ाएँ उत्पन्न होती हैं।

(3) बढ़ती हुई आयु में बालकों की हड्डियों को मोबाईल फोन से निकलने वाली विकिरण नुकसान पहुँचाती है। संगणक और इंटरनेट के सतत संपर्क में रहने से व्यक्ति की मानसिकता भी बदल जाती है। उनकी बुद्धि भ्रमित हो जाती है तथा उनसे बढ़िया संवाद भी नहीं किया जा सकता है। व्यक्ति आत्मकेंद्रित संवेदनशून्य हो जाता है।

महत्त्वपूर्ण जानकारी : मोबाईल फोन के उपयोग से बच्चों में स्वमग्नता (Autism) अथवा स्वार्थी प्रवृत्ति अथवा आत्मकेंद्रित होने की प्रवृत्ति निर्मित नहीं होती है। यह मस्तिष्क का एक विकार है। जनुकों में होने वाले परिवर्तन के कारण तथा जन्म से पहले आवश्यक आक्सीजन की आपूर्ति न होने के कारण होने वाला आनुवांशिक विकार है। परंतु माता-पिता के जनुकों में मोबाईल फोन से निकलनेवाली विकिरण के कारण परिवर्तन होने से यह विकार उत्पन्न होने की संभावना बढ़ जाती है।

5. मानसिक बीमारी से पीड़ित होने के लक्षण :


(1) अत्यधिक सेल्फी खींचना यह सेल्फीसाइड (Selficide) रोग माना जाता है। इस प्रकार सेल्फी खींचनेवाले व्यक्ति को आसपास के परिसर में स्थित संकट ध्यान नहीं रहता है।

(2) परिवार या कुटुंब में मारपीट करना।

(3) आत्महत्या करना अथवा आत्महत्या करने का प्रयास करना। मानसिक रूप से बीमार व्यक्तियों को अन्य लोगों के सहानुभूति की आवश्यकता होती है।

(4) मोबाईल फोन, टी.वी., इंटरनेट इत्यादि प्रसारमाध्यमों का सकारात्मक उपयोग न करके उसमें अपना समय नष्ट करना।

6. सायबर अपराध (Cyber Crimes):

(1) मोबाईल फोन पर किसी भी प्रकार की व्यक्तिगत जानकारी नहीं देनी चाहिए। किसी व्यक्ति की बैंक संबंधित व्यक्तिगत जानकारी का उपयोग करके व्यक्ति को धोखा देना या लुटना साइबर अपराध कहलाता है। अतः अपना आधारकार्ड /पैनकार्ड / क्रेडिट कार्ड / डेबिट कार्ड क्रमांक की जानकारी किसी व्यक्ति को नहीं देनी चाहिए।

(2) बैंकों के डेबिट/क्रेडिट कार्ड्स के पिन क्रमांक का उपयोग करके ग्राहकों के खाते से पैसे का परस्पर लेन-देन किया जाता है।

(3) ATM कार्ड का उपयोग अत्यंत सावधानीपूर्वक करना चाहिए। कार्ड का PIN क्रमांक किसी को भी देना या दिखाना नहीं चाहिए। अन्यथा पैसों के आदान-प्रदान में फँसने की संभावना अधिक होती है।

तनाव प्रबंधन (Stress Management) 

1. तनाव कम करने के उपाय :


(1) हास्य क्लब (Laughter Club): जोर-जोर से खिल-


खिलाकर हँसकर लोग स्वयंय का तनाव कम कर लेते हैं। हँसने से लोगों के तनाव को कम करने में सहायता मिलती है।

(2) सभी से संवाद करना।

(3) अपने परिचित या नज़दीकी व्यक्ति के पास मन हल्का करना, मन के विचार या मन की बातें लिखना।

(4) वस्तुओं का संग्रह करना, छायाचित्रण, उच्च गुणवत्तावाली पुस्तकें पढ़ना, चित्र बनाना, रंगोली बनाना, नृत्य करना इत्यादि अपनी मन की इच्छाओं को पूर्ण करना।

(5) सकारात्मक बातों की ओर मन ले जाना तथा अपनी ऊर्जा का उपयोग सकारात्मक कार्यों को करने से नकारात्मक सोच अपने आप दूर हो जाती हैं।

(6) संगीत सीखना, संगीत सुनना, गाना गाना इत्यादि से तनाव दूर होता है।

(7) मैदान में खेलना, शारीरिक व्यायाम, अनुशासन ।

(8) योग, ध्यान, प्राणायाम, दीर्घ श्वासोच्छ्वास, योगनिद्रा, योगासन।

(9) संतुलित व सात्त्विक आहार।

(10) मांसपेशियों की नियमित मालिश।

(11) प्रकृति की गोद में जाना, पालतु प्राणियों की देखभाल करना, बगीचे का काम, पक्षियों का निरीक्षण करना।

2. मानसिक समस्या (Mental Problem):

(1) उदासीनता (Depression).

(2) निराशा (Frustration).

3. उपचार (Treatment):

(1) उचित चिकित्सीय सलाह।

(2) सलाह या परामर्श लेना (Counselling) (समुपदेशन)।

(3) मानसिक उपचार, मानसोपचार।

(4) गैरसरकारी संगठनों (NGOs) की सहायता लेना।

4. मदद / सहायता करनेवाले संगठन :

(अ) तंबाकू विरोधी संयुक्त अभियान : विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO), टाटा ट्रस्ट जैसे 45 नामांकित संस्थाओं ने मिलकर यह अभियान शुरू किया है। तंबाकू सेवन करने पर नियंत्रण, तंबाकू विरोधी कार्य करनेवालों को मार्गदर्शन देना इत्यादि विभिन्न उद्देश्यों के लिए यह अभिमान कार्यरत है।

(ब) सलाम मुंबई फाउंडेशन, मुंबई : यह संस्था झोपड़पट्टियों में रहनेवाले बच्चों को शिक्षा, खेल, कला, व्यवसाय इत्यादि बातों में सक्षम करने के लिए अनेक विद्यालयों में कार्यक्रम का आयोजन करती हैं|

क) सरकार का प्रयत्न|योजना.- चाईल्ड हेल्पलाईन पर फोन घुमाकर मदद माँगी जा सकती है। बच्चों के लिए पुलिस तथा परामर्शदाता (Counsellers) के फोन नंबर समाचारपत्रों में प्रकाशित किए जाते हैं। बच्चों के द्वारा दिए गए फोन नंबर पर संपर्क करने पर उनकी समस्या का समाधान ढूँढ़ने का प्रयास किया जाता है।






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